बिहार (Bihar) में रामनवमी (Ram Navami) के दौरान हुई हिंसा को लेकर राजनितिक गलियों का माहौल काफी गरमाया हुआ है। भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। आज इसी को लेकर बिहार (Bihar) विधानसभा में भी तहलका मचा हुआ है। विधानसभा के अंदर इस हिंसा को लेकर इतना तहलका बढ़ गया कि मार्शल्स को जबरन विधायकों को बाहर निकालना पड़ा है। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी ने बिहार सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए सवाल किया है कि, बिहार में हिंसा पर सरकार चुप क्यों है? बीजेपी विधाय़कों ने आरोप लगाया कि हिंदुओं पर जानबूझकर कार्रवाई की गई और दंगाईयों को बचाया गया।
बिहार में लोकतंत्र की हत्या हुई है: बीजेपी
नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा (Vijay Sinha) ने कहा कि, सरकार के अधिकारी हिंसा में शामिल हैं। इसलिए इस हिंसा की न्यायिक जांच होनी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने ये भी कहा कि, बिहार में लोकतंत्र की हत्या हुई है और राज्य की सरकार मदरसों के जरिए दंगे करवा रही है। इस मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि बिहार हिंसा के किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
‘सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही है’
वहीं बिहार (Bihar) में बीजेपी के सभी नेता एक सुर में नीतीश कुमार और बिहार की सरकार पर हमलावर हैं। बिहार विधानसभा में इस मामले पर हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक जीवेश मिश्रा को सदन से मार्सल बुलाकर बाहर करना पड़ा। जीवेश मिश्रा बिहार हिंसा मामले में लगातार सदन में विरोध कर रहे थे और सीएम नीतीश कुमार से जवाब देने की मांग कर रहे थे।
वही, सदन की कार्रवाई के बीच में भारतीय जनता पार्टी के नेताओ ने कहा कि, सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही है। इस मामले में हिंदुओं को टारगेट किया जा रहा है। दंगाइयों को बिहार की सरकार बचा रही है इसलिए दंगाइयों पर एक्शन नहीं लिया जा रहा है।
सुशील मोदी ने जेडीयू पर साधा निशाना
इस हिंसा को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने चुनौती देते हुए कहा है कि, “अगर सत्तारूढ़ महागठबंधन में हिम्मत है तो वह भारतीय जनता पार्टी और RSS पर आरोप लगाने के बजाय रामनवमी पर हुए हिंसक उपद्रव की न्यायिक जांच कराए। जो पुलिस बिहारशरीफ और सासाराम में फेल हुई, क्या खुद उसी की जांच भरोसे के लायक होगी?” सुशील मोदी ने आगे कहा कि,”जब राज्य सरकार चार शहरों में दंगे जैसी स्थिति टालने में नाकाम रही, तब गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संवैधानिक अधिकार का प्रयोग कर केंद्र के प्रतिनिधि राज्यपाल से हालात की रिपोर्ट मांगी। इस पर जेडीयू को खराब क्यों लग रहा है?”