सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का एसआईटी से जांच जारी कराने का आदेश बरकरार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी संजय कुंडू (Sanjay Kundu) को बड़ी राहत मिली गयी है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फिर से हिमाचल प्रदेश के डीजीपी पद पर बहाल क्र दिया गया है। कुंडु के ट्रांसफर करने का हिमाचल हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। हालांकि, अदालत ने इस मामले में हाईकोर्ट का SIT जांच का फैसला बरकरार रखा है। डीजीपी पद से कुंडू का तबादला कर राज्य सरकार ने उन्हें आयुष विभाग का प्रिंसिपल सेक्रेटरी बना दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का एसआईटी से जांच जारी कराने का आदेश बरकरार रखा है. एसआईटी उन आरोपों की जांच कर रही है, जिनमें ये कहा गया था कि उन्होंने एक आला पुलिस अधिकारी के साथी और बिजनसमैन के बीच एक विवाद को हल करने का दबाव बनाने के लिए धमकाया था। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के नौ जनवरी के उस आदेश को चुनौती देने वाली कुंडू की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें हाईकोर्ट ने डीजीपी के पद से उन्हें हटाने संबंधी पूर्व का निर्देश वापस लेने के अनुरोध वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हालांकि, इस स्तर पर हाईकोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखना अनुचित होगा, जिसमें निर्देश दिया गया है कि याचिकाकर्ता (कुंडू) को 26 दिसंबर 2023 के आदेश के अनुपालन में डीजीपी के पद से हटा दिया जाए…”
पीठ ने डीजीपी के पद से उन्हें हटाने के हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए निर्देश दिया कि विषय की जांच में शामिल किसी भी अधिकारी पर कुंडू का कोई नियंत्रण नहीं होगा, जो एक पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) की सदस्यता वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) करेगी।
पीठ ने निर्देश दिया कि राज्य सरकार एक एसआईटी का गठन करे।
सीबीआई जांच के अनुरोध को भी ठुकराया
हाईकोर्ट ने नौ जनवरी को कुंडू और कांगड़ा पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री को झटका देते हुए 26 दिसंबर 2023 के अदालत के आदेश को वापस लेने संबंधी उनकी याचिका खारिज कर दी थी। आदेश मेंउनके स्थानांतरण का निर्देश दिया गया था ताकि मामले की जांच को वे प्रभावित नहीं कर सकें। हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के उनके अनुरोध को भी अस्वीकार कर दिया था।
अधिकारियों के आचरण पर जताई थी नाराजगी
दोनों अधिकारियों के आचरण पर नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि विवाद का निपटारा करने की डीजीपी की कोशिश प्रथम शक्ति और प्राधिकार का अनुचित इस्तेमाल लगती है। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि अग्निहोत्री की ओर से ‘प्रथम कर्तव्य निर्वहन नहीं किया गया।