दीवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

पटाखों में बेरियम के इस्तेमाल पर रोक रहेगी। वाईंट पटाखे यानी लड़ियों, रॉकेट आदि पटाखों पर बैन बरकरार रहेगा।

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दीवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। इसके तहत देशभर में पटाखों पर बैन मामले पर 2018 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला बरकरार रहेगा। इस दीवाली भी पटाखों पर बैन जारी रहेगा। दिल्ली NCR को छोड़कर देश में ग्रीन पटाखों (Green Firecrackers) की इजाजत रहेगी। वहीं, पटाखों में बेरियम के इस्तेमाल पर रोक रहेगी। वाईंट पटाखे यानी लड़ियों, रॉकेट आदि पटाखों पर बैन बरकरार रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दोहराया कि बेरियम को पटाखों में बतौर केमकिल इस्तेमाल की इजाज़त नहीं दी जा सकती। पटाखा निर्माता कम्पनियों ने कोर्ट से इसकी मांग थी। कोर्ट ने ये भी साफ किया कि लड़ी जैसे जॉइंट क्रेकर्स के निर्माण और इस्तेमाल की इजाज़त नहीं दी जा सकती। कोर्ट को इस फैसले के बाद दिल्ली सरकार का पटाखों पर लगाया गया पूरी तरह से बैन जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर की एजेंसिया सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करें।

जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच ने पटाखा निर्माताओं की बैन हटाने की याचिका पर फैसला सुनाया है। इसके साथ ही देशभर में पटाखों पर बैन लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भी फैसला करना था कि पहले जो ग्रीन क्रैकर चलाने की इजाजत का पुराना फैसला है उसे बरकरार रखा जाए या ग्रीन क्रेकर मे अभी भी इस्तेमाल हो रहे हानिकारक पदार्थो को हटाकर इसकी इजाजत दी जाए।

हालांकि, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों द्वारा पटाखे चलाने पर लगाए गए बैन मे दखल देने से इन्कार कर दिया था। दिल्ली सरकार द्वारा पटाखे पर लगाए गए बैन के खिलाफ दाखिल बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की अर्जी को ठुकराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आप जश्न मनाने के दूसरे तरीके ढ़ूंढ सकते हैं। अगर आप पटाखे चलाना ही चाहते हैं तो ऐसे राज्य मे जाइए जहां पटाखे चलाने पर बैन ना लगा हो।

4 सितंबर को देश में ग्रीन क्रेकर को मंजूरी दी जाए या नहीं, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी की फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट पहले ही कह चुका है कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा सकते। ऐसे मे जिन जगहों पर प्रदूषण का स्तर ठीक नहीं है वहां पटाखों का इस्तेमाल न हो।

जिन जगहों पर प्रदूषण का स्तर ठीक हो वहां पर पटाखों के इस्तेमाल किया जा सके लेकिन हानिकारक पदार्थों के द्वारा उनका निर्माण न किया गया हो। इसके लिए सरकार और एजेंसी का मैकेनिज्म चुस्त दुरुस्त हो। हालाकि कोर्ट ने य़ह भी स्पष्ट कर दिया कि जिन राज्यों ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है उसमे कोर्ट कोई भी हस्तक्षेप नहीं करेगा।