भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। चतुर्थी एक महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है। विनायक चतुर्थी शुक्ल पक्ष के दौरान और संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के दौरान आती है। हर संकष्टी चतुर्थी का अपना अलग नाम और कहानी होती है। इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानि 29 मार्च 2024 को मनाई जाने वाली है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज यानि 28 मार्च 2024 को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा शाम को 5 बजकर 4 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 37 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रमा का पूजन महत्वपूर्ण माना गया है और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। बता दें कि आज चंद्रोदय का समय रात 9 बजकर 28 मिनट है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का महत्त्व एवं पूजा विधि
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत गणेश जी को समर्पित है और इस दिन विधि-विधान से उनका पूजन किया जाता है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही किसी कार्य में आ रही बाधा भी दूर होती है और सफलता के मार्ग खुलते हैं। इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और फिर मंदिर को स्वच्छ करें। इसके बाद भगवान गणेश को चंदन या हल्दी या तिलक लगाएं। फिर फल, फूल और दूर्वा अर्पित करें। ध्यान रखें कि 11 या 21 दूर्वा अर्पित करना शुभ हेाता है। इसके बाद मोदक या बेसन के लड्डूओं का भोग लगाएं। फिर उसे प्रसाद के तौर पर परिवार के सदस्यों में बांट दें। दिनभर फलाहार करने के बाद रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।