भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह का योगतान रहा अतुलनीय

मात्र 23 वर्ष की आयु में भगत सिंह ने अंग्रेजों की नाक में इतना दम कर दिया कि अंग्रेजों को उन्हें फांसी की सजा देनी पड़ गई।

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देश में जब भी स्वतंत्रता आंदोलन की बात हो या फिर किसी क्रांति की बात होती है तो भगत सिंह (Bhagat Singh) का नाम सबसे पहले आता है। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह का योगतान अतुलनीय रहा है। मात्र 23 वर्ष की आयु में भगत सिंह ने अंग्रेजों की नाक में इतना दम कर दिया कि अंग्रेजों को उन्हें फांसी की सजा देनी पड़ गई।

अंग्रेजों को भगत सिंह और उनके चाहने वालों से इतना खौफ था कि तय तारीख से एक दिन पहले ही गुपचुप तरीके से अंग्रेजों से भगत सिंह को फांसी दे दी थी। हालांकि इसकी सूचना जैसे ही लोगों को मिली तो हालात तनावपूर्ण हो गए और कई जगह अशांति फैल गई। अंग्रेजों ने कई प्रयास किए कि भगत सिंह झुक जाएं लेकिन उन्होंने झुकने के बजाय वीरगति को चुना।

महान क्रांतिकारी भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा में हुआ था। बता दें कि बंगा वर्तमान में पाकिस्तान पंजाब का भाग है। मात्र 23 वर्ष की आयु में भगत सिंह को फांसी की सजा दे दी गई थी। इस दौरान उनके साथ राजगुरू और सुखदेव को भी फांसी की सजा दी गई थी। बता दें कि एक अंग्रेज अधिकारी की हत्या के जुर्म में तीनों स्वतंत्रता सेनानियों को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दी गई। इस दिन को शहीद दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है।