West Bengal: केंद्रीय गृह मंत्री के काफिले पर हमले के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal government) को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हमले की सीबीआई (CBI) जांच के आदेश को रद्द कर दिया है और मामले को फिर से सुनवाई के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दी गई पूरी सामग्री पर विवेक नहीं लगाया। हाईकोर्ट एक बार फिर नए तरीके से याचिका पर विचार करे। हाईकोर्ट राज्य सरकार की इस दलील पर भी विचार करेगा कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।
CJI डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) , जस्टिस पीएस नरसिम्हा (PS Narasimha) और जस्टिस जेबी पारदीवाला (JB Pardiwala) की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhvi) ने कहा कि, हाईकोर्ट ने उन्हें जांच का मौका नहीं दिया। घटना के दो दिन के भीतर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी गई। फिर एक महीने के भीतर फैसला आ गया। हाईकोर्ट ने पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया कि पुलिस ने कार्रवाई की है। हाईकोर्ट को राज्य की पुलिस की बात सुननी चाहिए थी। राज्य सरकार को ना तो केंद्रीय मंत्री के काफिले के रूट की जानकारी थी और ना ही उनकी मीटिंग को मंज़ूरी दी गई थी। हाईकोर्ट ने ये नहीं देखा कि पुलिस ने 21 लोगों को गिरफ्तार किया था।
दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट ने 29 मार्च को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नीशीथ प्रमाणिक और उनके काफिले पर 25 फरवरी को कूचबिहार जिले में हुए हमले के आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता शुभेंदु अधिकारी, पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता, ने एक जनहित याचिका में आरोप लगाया कि उत्तर बंगाल के दिनहाटा से बीजेपी सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री नीतिश प्रमाणिक पर हमला किया गया और उनके काफिले पर पथराव किया गया, जब वह 25 फरवरी को अपने निर्वाचन क्षेत्र के दौरे पर थे।
उन्होंने कथित हमले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए दावा किया कि राज्य पुलिस ने सीआईएसएफ द्वारा शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया था, जो मंत्री को सुरक्षा प्रदान कर रहे थे और बदले में भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर रहे थे। मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्रीय मंत्री पर कथित हमले की सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।