आज़म खान को सता रहा आज़ादी के दिन फिर से कैद होने का डर

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Azam Khan

रामपुर: स्वतंत्रता दिवस के मौके पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान (Azam Khan) का दर्द झलक पड़ा। उन्होंने जौहर यूनिवर्सिटी में झंडारोहण किया। इस मौके पर उन्होंने पिंजरे में बंद पक्षियों को भी आज़ादी दिलाई तो अपने दिल का दर्द जाहिर करते हुए एक बार फिर जेल जाने की आशंका जता डाली। ऐसे में जौहर यूनिवर्सिटी की देखभाल का आवाहन करते हुए उम्मीद जताई कि एक दिन हालात अच्छे होंगे, आसमान में बदल जाएंगे और तपती धूप जैसी मुश्किलों से राहत मिलेगी।

स्वतंत्रता दिवस पर जौहर यूनिवर्सिटी में झंडारोहण के बाद आजम खान (Azam Khan) ने अपनी स्पीच के दौरान कहा, “ऑल द रिस्पेक्टेड पर्सन, हु आर प्रेजेंट हेयर, मैं उन सब को सैल्यूट करता हूं। उन सब को सलाम करता हूं, जो यहां तशरीफ लाये है। यहाँ तशरीफ लाने के लिए मुबारकबाद देता हूं और इन सबसे ज्यादा मेरी नेक ख्वैशात उन सभी असाज़ा के लिए हैं जो बहुत कम में गुजारा करते हैं और मेहनत करते हैं। यहां के बच्चे और बच्चियों की नशेनुमाई करते हैं। उन्हें तालीम देते हैं और तालीम से कहीं ज्यादा उनको तरबियत देते हैं यही वजह है की तमाम गुफरानो के बावजूद भी वह तिनके जो यहां लगाए गए थे, वह आज भी हैं और वह तिनके तानावत दरख़्त बन चुके हैं जिन्हे तूफान भी नहीं उखाड़ पाएंगे। आपका शुक्रिया अदा करते हैं और आप सब से यही उम्मीद करते हैं कि आने वाले दिनों में भी इस यूनिवर्सिटी के साथ इस दिन के रिश्ते को जोड़ें रहिए और अपनी तादाद को इतना बढ़ाते रहिए की यह सबसे बड़ी याद यही मनाई जाया करें। लोग समझते हैं कि मैं राजनीतिक दुवेश में कहता हूं लेकिन जो कहता हूं वह सच और सही होता है। उसकी सजा मुझको मिली भी है और हर वक्त अरमान है कि कब हम फिर उन जेल की दीवारों के बीच चले जाएं। जहां से हम 27 महीने तनहाई का सफर तय करके आए हैं। हर रात और हर सुबह इसी इंतजार में गुजरती है। आज का दिन हमारा आजादी का गुजरा है लेकिन अगला लम्हा क्या होगा? यह हमें खुद भी नहीं मालूम, फिर भी आप सब पर इस इरादे को और अपने वतन को एक बेगैरत कॉम की तरह जिंदा रखने की जिम्मेदारी है।”

आजम खान (Azam Khan) ने अपनी स्पीच के दौरान कहा,, यहां तक कि रामपुरी चाकू से फिल्मों में कत्ल किए जाने लगे और इसे लेकर रामपुर का चाकू एक दहशत हथियार के नाम से जाना गया। वह हमारी पहचान बन गया। कौन सा रामपुर चाकू वाला रामपुर लेकिन इस चाकू वाले रामपुर को दस्तकारी से या कारोबार से पहचान नहीं मिली। आपको याद होगा आज से कुछ साल पहले तक यही रामपुर के चाकू बनाने वाले लोग रामपुर की तहसील के सामने फुटपाथ पर बैठकर खुले में चाकू बेचा करते थे। उनके ऊपर पॉलिथीन की पन्नी का भी साया नहीं था। वही लोग जो फुटपाथ पर बैठकर चाकू बेचा करते थे, उनके लिए एक बाजार बना और उसका नाम उस शख्स के नाम से रखा जो तारीख में आज भी अमर है टीपू सुल्तान। उसका नाम टीपू सुल्तान मार्केट रखा और फुटपाथ पर बैठने वाले लोगों के पास जो दुकाने हैं आज उसकी कम से कम गैरकानूनी ही लफ्ज़ सही लेकिन उसकी पगड़ी एक करोड़ रुपए से ज्यादा है।

एक तरफ वो जहन था जिसने रामपुर के चाकू को फिल्मों तक पहुंचा दिया और एक जहन यह था कि उसने इस शहर को तालीम के नाम से पूरी दुनिया तक पहुंचा दिया। यह तय आपको करना है कि आजादी के इस दिन हमें किस चीज को अपनाना है। हम कलम की धार से अपने आप को आगे बढ़ाएंगे या हथियार की धार से, यह आपको तय करना है। बहुत गर्मी है। बहुत सख्त मौसम है। कभी-कभी रह रहकर बादल आ जाते हैं। साया कर देते हैं। ऐसा ही साया यकीनन कभी आएगा जब जुल्म की तपिश खत्म हो जाएगी और बगैर बादलों के भी हिंदुस्तान ठंडक महसूस करेगा। आप सबको आज के दिन की बहुत-बहुत मुबारकबाद।

आजम खान (Azam Khan) ने अपनी स्पीच के दौरान कहा, “हमें कैद कर देंगे, हम जेल में होंगे तो जिम्मेदारी आप पर होगी। हम आज 15 अगस्त पर आपको यह जिम्मेदारी देते हैं कि हम बाहर हो या ना हो आप इस ईंधारे की हमारे बच्चों की और हमारे बच्चियों की मुस्तकबिल की हिफाजत उस मलिक की दुआओं से करेंगे। इसी के साथ आप सबको एक बार फिर मुबारकबाद। आप सब हिंदुस्तान की तरक्कियों के हिस्सेदार हो। हम एक दूसरे के गम के और खुशियों के शरीक हो और यह दिन हमारी जिंदगी में आता रहे। आप सबको बहुत-बहुत मुबारकबाद। बहुत-बहुत शुक्रिया।