UCC लागू होने को लेकर अरशद मदनी ने रखी अपनी राय

मदनी ने कहा कि मुसलमान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत के खिलाफ़ नहीं जा सकता। यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की एकता के लिए खतरा है।

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यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) ने अपनी राय तैयार की है और आज राय लॉ कमीशन को भेजी जाएगी। इस तैयार राय में कहा गया है कि यूनिफार्म सिविल कोड मजहब से टकराता है। ऐसे में लॉ कमीशन को चाहिए कि वो सभी धर्मों के जिम्मेदार लोगों से बुलाकर बात करे और समन्वय स्थापित करे।

मौलाना अरशद मदनी (Arshad Madani) की अध्यक्षता में जमीयत उलेमा -ए- हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) आज अपनी राय भेजेगा, जिसके मुताबिक, कोई भी ऐसा कानून जो शरीयत के खिलाफ हो, मुसलमान उसे मंजूर नहीं करेंगे। मुसलमान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत के खिलाफ़ नहीं जा सकता। यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की एकता के लिए खतरा है।

‘हमारा पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत से बना है’

जमीयत उलेमा -ए- हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) ने अपने तैयार की गई राय में कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड संविधान में मिली धर्म के पालन की आजादी के खिलाफ है, क्योंकि यह संविधान में नागरिकों को धारा 25 में दी गई धार्मिक आजादी और बुनियादी अधिकारों को छीनता है। जमीयत की तरफ से कहा गया कि हमारा पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत से बना है, उसमें कयामत तक कोई भी संशोधन नहीं हो सकता। हमें संविधान मजहबी आजादी का पूरा मौका देता है।

बता दे कि इससे पहले भी अरशद मदनी (Arshad Madani) ने मुसलमानों से यूसीसी के खिलाफ सड़क पर न उतरने की अपील की थी। उन्होंने एक बातचीत के दौरान कहा था कि प्रधानमंत्री के बयान के बाद लॉ कमीशन का क्या मतलब रह जाता है। हमें लॉ कमीशन पर यकीन नहीं है। हम तो हमेशा कहते हैं। मुसलमान सड़कों पर न उतरें, हम जो करेंगे कानून के दायरे में रहकर करेंगे।