भूख से बिलबिलाते पाकिस्तान पर फिर मेहरबान हुआ अमेरिका

पाकिस्तान की मदद को एक बार फिर अमेरिका ने हाथ बढ़ाया है।

0
72

भूख, गरीबी, मंदी, तंगी से तड़पता पाकिस्तान। एक-एक पैसे को मोहताज पाकिस्तान। कर्ज और बाढ़ से हुए नुकसान से जूझ रहे पाकिस्तान के पास अमेरिका ने एक बार फिर मदद का हाथ बढ़ाया है। पाकिस्तान को भी अमेरिका की मदद की दरकार है। पाकिस्तान में अकाल और गरीबी को रोकने के लिए, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अतिरिक्त $100 मिलियन की सहायता का वादा किया है। यहां तक कि पाकिस्तान का करीबी दोस्त चीन भी इस समय पाकिस्तान की मदद नहीं कर पा रहा है, जबकि अन्य संगठनों, जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान की खराब रेटिंग को देखते हुए कर्ज देने से हाथ खड़ा कर दिया है।

आपको बता दें कि इन दिनों पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है। आटा, दाल, चावल, प्याज,सब्जी और दूध के दामों में 40 फीसदी से 400 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में प्याज के दाम 464 फीसदी तक बढ़ गए हैं। ऐसे में पाकिस्तानी भूख से तड़प रहे हैं। उन्हें खाने को दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं। पाकिस्तानी की इकोनॉमी पूरी तरह तहस-नहस हो चुकी है। महंगाई 24.5 फीसद के चरम स्तर को पार कर गई है। पाकिस्तान में आर्थिक तंगी से हाहाकार मच गया है। दरअसल इसके पीछे एक वजह पाकिस्तान को करीब चार वर्षों के लिए एफएटीएफ द्वारा आतंकी टेरर फंडिंग को रोकने के लिए लगाया गया प्रतिबंध भी है। इसकी वजह से पाकिस्तान को धन जुटाने में मुश्किलें हुई और उसकी अर्थव्यवस्था टूटती गई।

सऊदी अरब और चीन ने मदद से किया इंकार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मुश्किल वक्त में अपने देश को भूख से बचाने के लिए चीन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन ड्रैगन ने अपनी मजबूरी बताकर सहायता करने से इंकार कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल मुनीर सऊदी अरब के पास कटोरा लेकर पहुंचे। लेकिन वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। आइएमएफ और विश्व बैंक समेत अन्य संस्थाएं पाकिस्तान की कर्ज न लौटा पाने की सामर्थ्य को देखते हुए पहले ही दूर से भगा दिया था। लिहाजा पाकिस्तान को अब अपने लोगों को भूखा मरने से बचाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। ऐसे वक्त में अमेरिका ने फिर पाकिस्तान की मदद की है। एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका ने “जलवायु अनुकूल पाकिस्तान” विषय पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बाढ़ से राहत, आर्थिक सुधार और पाकिस्तान के पुनर्निर्माण के लिए 100 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता देने का फैसला किया है। ऐसे में अब अमेरिका की ओर से पाकिस्तान को दी जाने वाली कुल मदद 200 मिलियन डॉलर हो जाएगी।

पाकिस्तान की मदद के पीछे अमेरिका का अपना हित

पाकिस्तान की सहायता करने के लिए जब उसके अपने सबसे करीबी भी हाथ खड़ा कर रहे हैं तो ऐसे वक्त में भी अमेरिका उसकी मदद को आगे आया है। इसके पीछे अमेरिका के अपने हित हैं। दरअसल पाकिस्तान को अमेरिका ने हमेशा से जासूसी का इनाम दिया है। वह पाकिस्तान से सिर्फ भारत के खिलाफ ही नहीं, बल्कि चीन और अफगानिस्तान के खिलाफ भी जासूसी कराता रहा है। पाकिस्तान में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने का ऑपरेशन रहा हो या फिर अफगानिस्तान में आतंकी अलजवाहिरी का खात्मा।पाकिस्तान ने अमेरिका के लिए न सिर्फ जासूसी की, बल्कि उसे अपना एयरबेस भी मुहैया कराया था। इसी तरह पाकिस्तान चीन के खिलाफ भी अमेरिका के लिए जासूसी करता है। ताकि अमेरिका से उसे धन मिल सके। अमेरिका पाकिस्तान का इस्तेमाल भारत पर दबाव बनाने और जासूसी करवाने के लिए भी करता आया है। इस वक्त अमेरिका और चीन में ठनी है। ऐसे में वह पाकिस्तान की मदद करके ड्रैगन के खिलाफ जासूस के सोर्स को और मजबूत करना चाहता है। जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान चीन के खिलाफ अपना एयरबेस भी अमेरिका को उपलब्ध करवाने के लिए तैयार हो सकता है।

पाकिस्तानियों ने कहा अपने हुक्मरानों पर नहीं भरोसा

अमेरिका की इस मदद के बाद पाकिस्तानी लोग सोशल मीडिया पर कमेंट करके कह रहे हैं कि हमें अपने हुक्मरानों पर भरोसा नहीं रह गया है। पाकिस्तान के लोगों को इस दौरान भोजन के लाले पड़े हैं। आटा उन्हें 41 फीसद महंगा, गेंहू 57 फीसद महंगा और दाल 200 फीसद तक महंगे में खरीदना पड़ रहा है। ऐसे में खाने-पीने की वस्तुएं पाकिस्तानियों की पहुंच से दूर होती जा रही हैं। बहुत से पाकिस्तानी सिर्फ एक वक्त का भोजन ही कर पा रहे हैं। पाकिस्तान की दो तिहाई आबादी भुखमरी और गरीबी से त्रस्त नजर आ रही है। तंगी और भूख से पाकिस्तान बेहाल नजर आ रहा है।