Aligarh: सेना और पुलिस को जल्द मिलेंगे अलीगढ़ में बने हथियार

पिस्टल, रिवॉल्वर व कारतूस के लाइसेंस गृह मंत्रालय से स्वीकृत हो चुके हैं।

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अब तक खिलौने (पिस्तौल-रिवॉल्वर) तैयार करने वाले अलीगढ़ में अब असली हथियार भी बनेंगे। अंडला स्थित डिफेंस कॉरिडोर में देश की जानी-मानी वेरिविन डिफेंस कंपनी ने अत्याधुनिक तकनीक आधारित रिवॉल्वर, पिस्तौल और कारतूस बनाने की फैक्टरी लगाई है। यहां नवंबर में विनिर्माण शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है। वेरिविन और अमेरिकी कंपनी स्मिथ एंड वेसन के बीच एक समझौता हुआ है। यहां बने हथियारों का इस्तेमाल पुलिस और सेना करेगी। इसके अलावा, ये हथियार आम व्यक्तियों द्वारा खरीद के लिए उपलब्ध होंगे। वहीं, सेना व पुलिस के लिए राइफल व कार्बाइन के निर्माण की भी तैयारी है।

अंडला स्थित डिफेंस कॉरिडोर के प्लाट नंबर 12 व 15 में फैक्टरी निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है। फिनिशिंग का काम बाकी है। इसमें उत्पादन यूनिट के साथ-साथ गोदाम, विस्फोटक सामग्री रखने का स्थान तैयार किया गया है। पिस्टल, रिवॉल्वर व कारतूस के लाइसेंस गृह मंत्रालय से स्वीकृत हो चुके हैं।

वेरीविन डिफेंस कंपनी ने सेना, पुलिस व आम लोगों के लिए कई तरह की पिस्टल व रिवॉल्वर मार्केट में उतारना तय किया है। इसका ब्रॉशर जारी करते हुए कंपनी ने पिस्टल व रिवॉल्वर के मॉडल और उनकी खासियत भी बताई है। शुरुआती कीमत भी तय की है। मगर मूल्य का निर्धारण उत्पादन शुरू होने के बाद किया जाएगा। यहां सेना व पुलिस के लिए .9 एमएम बोर, आमजन के लिए .32 बोर के रिवाल्वर-पिस्तौल बनेंगे, जबकि 357 बोर के हथियार भी बनेंगे।

अलीगढ़ में 85 करोड़ के निवेश के साथ कंपनी की यूनिट में हथियारों का सर्विस सेंटर भी बनाया गया है। इसके अलावा, दो लाख कारतूस प्रतिमाह बनाने की क्षमता इस यूनिट की होगी, जिसमें पुलिस व सेना के लिए .9 एमएम, आमजन के लिए .32, .45 व 380 एमएम के कारतूस बनेंगे। कंपनी एक माह में 500 से अधिक हथियारों का निर्माण करेगी। हथियार का निर्माण ऑर्डर पर निर्भर होगा।

हमारी कंपनी पिछले चार दशक से शस्त्र निर्माण के क्षेत्र में काम कर रही है। अलीगढ़ सहित डिफेंस के चार नोड में यूनिटें लग रही हैं। अमेरिकी कंपनी से करार के साथ अत्याधुनिक तकनीक आधारित हथियार बनेंगे, जिसमें सेना, पुलिस व आमजन के लिए हथियार होंगे। पूरा प्रयास है कि नवंबर में रिवाल्वर-पिस्तौल का उत्पादन शुरू कर दिया जाए। आगे अन्य हथियार बनाए जाएंगे। लाइसेंस आदि की प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं।