ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख (AIMIM chief) असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं कि मुसलमानों को सबक सिखाने के लिए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) की जरूरत है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रस्तावित विधेयक गैर-मुसलमानों को ज्यादा प्रभावित करेगा। उन्होंने दावा किया कि यूसीसी भारत के लिए अच्छा नहीं है।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में एआईएमआईएम द्वारा आयोजित एक बैठक में असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि अगर यूसीसी पेश किया गया तो मुसलमानों की तुलना में गैर-मुसलमानों को अधिक नुकसान होगा, क्योंकि यह उनके व्यक्तिगत कानूनों को प्रभावित करेगा।
ओवैसी ने दावा किया, ऐसा कहा जाता है कि यूसीसी के माध्यम से मुसलमानों को सबक सिखाया जाएगा, लेकिन यह प्रस्तावित विधेयक पूरे देश के लिए अच्छा नहीं है। मुसलमानों के बजाय गैर-मुसलमानों को नुकसान होगा (यदि यूसीसी लागू किया गया)। ऐसा हमारी पहचान मिटाने के लिए किया जा रहा है।
इस बीच, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ (एआईडीडब्ल्यूए) ने यूसीसी की सिफारिश करने का निर्णय लेने से पहले, विशेष रूप से अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदायों की महिलाओं के साथ व्यापक परामर्श करने का भी आग्रह करते हुए मंगलवार को कहा कि यूसीसी लाने मात्र से ही केवल महिलाओं को समान अधिकार नहीं मिलेंगे या उनके खिलाफ भेदभाव खत्म नहीं होगा।
राष्ट्रीय राजधानी में एआईडीडब्ल्यूए ने विधि आयोग को लिखे पत्र में प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का विरोध किया और कहा कि वह मौखिक साक्ष्य देने के लिए समिति के सामने पेश होना चाहता है। एआईडीडब्ल्यूए ने कहा कि यह ‘आश्चर्य’ है कि विधि आयोग ने विशेष रूप से धार्मिक निकायों से इस जटिल मुद्दे पर उनकी राय मांगी है।