कौशाम्बी: खनन अधिकारी की लापरवाही और बालू माफियाओं से संलिप्तता के चलते पूरे वर्ष यमुना (Yamuna) नदी के विभिन्न घाटों से अवैध बालू का बड़ा खनन होता रहा।यमुना के घाटों से अवैध खनन को रोकने में पूरे वर्ष खनन विभाग के अधिकारी सफल नहीं हो सके। आए दिन ओवरलोड वाहन थाने पुलिस चौकी में पकड़े जाते रहे लेकिन यमुना से हो रहे अवैध खनन रोकने में अफसर कारगर नहीं साबित हुए हैं। खनन अधिकारी के कार्यालय में पूरे दिन बालू माफियाओं का जमावड़ा लगा रहता था। इस बात की पुष्टि खनन विभाग का सीसीटीवी कैमरा कर रहा है।
जून के महीने में बरसात होने के बाद यमुना (Yamuna) में बाढ़ आ गई है। खनन स्थल तक पानी भर गया है। अवैध तरीके से खनन किए गए स्थानों में पानी भर जाने के बाद बालू खनन से तैयार हुए गड्ढे समतल हो गए हैं। जिससे अवैध खनन का सबूत नष्ट हो गया है लेकिन इसके बाद शातिर दिमाग रखने वाले खनन अधिकारी ने अवैध खनन की जांच शुरू करा दी है। आखिर खनन अधिकारी के पास इतना शातिराना दिमाग कहाँ से आता है? इन्हें शातिर दिमाग देने वाला इनका शातिर गुरु कौन है? इन तमाम सवालों पर विभागीय अफसरों को जांच कराए जाने की जरूरत है। लेकिन विभागीय अफसर भी शातिर खनन अधिकारी के कारनामों को गंभीरता से लेकर जांच करा कर इन्हें दंडित नहीं कर पा रहे हैं, जिससे लगता है कि अवैध खनन में माफियाओं से होने वाली बड़ी वसूली में विभागीय अफसर हिस्सा बटवारा में शामिल है।
अवैध खनन के साथ-साथ एनजीटी के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए यमुना की बीच जलधारा से पोकलैंड मशीन और जेसीबी मशीन लगाकर पूरे वर्ष यमुना (Yamuna) के तमाम घाटों से बालू का अवैध खनन होता रहा और खनन अधिकारी चैन की बंसी बजाते रहे। जिससे यमुना नदी के विभिन्न घाटों से अवैध बालू खनन तो पूरे वर्ष नहीं रुक सका है और जब यमुना नदी में बाढ़ आने के बाद बालू के अवैध खनन का सबूत नष्ट हो गया तो शातिर खनन अधिकारी ने जांच कराए जाने का ड्रामा कर योगी सरकार को फिर गुमराह करना शुरू कर दिया है। यदि यही जांच मार्च-अप्रैल मई के महीने में शुरू कराई जाती तो बालू के अवैध खनन में लगे कई बालू खनन माफिया जेल के सलाखों के पीछे होते करोड़ों के राजस्व का लाभ सरकार को होता और विभाग का खजाना राजस्व से भर जाता और अवैध खनन पर कुछ रोक लग जाती लेकिन अवैध तरीके से खनन करने वाले बालू माफियाओं के कारनामों को समय रहते जांच कराकर उन्हें दंडित कराना उनसे राजस्व की वसूली करने का प्रयास खनन अधिकारी ने नहीं किया है।
शातिर दिमाग के खनन अधिकारी के कारनामे की योगी सरकार ने उच्च स्तरीय जांच कराई तो अवैध खनन में पूरे वर्ष खनन माफियाओं के साथ लिप्त खनन अधिकारी का जेल जाना तय है, लेकिन क्या योगी सरकार में अवैध तरीके से यमुना (Yamuna) नदी से हो रहे खनन की निष्पक्ष तरीके से शासन स्तर से जांच हो पाएगी या फिर भ्रष्टाचार में लिप्त रहकर अवैध खनन माफियाओं को बढ़ावा देने वाले खनन अधिकारी शातिराना चाल चलकर योगी सरकार और उनके अधिकारियों को गुमराह करते रहेंगे यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है।