यूपी मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के अन्तर्गत 2 दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला का हुआ शुभारम्भ

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कौशाम्बी के जिलाधिकारी राजेश कुमार राय ने गुरुवार को डायट मैदान में आयोजित उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम के अन्तर्गत 02 दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ तथा कृषि विभाग सहित अन्य विभागों द्वारा लगायी गई। विभागीय योजनाओ के स्टॉलों का अवलोकन करते हुए सम्बन्धित अधिकारियों से जानकारी प्राप्त कर आवश्यक दिशा-निर्देश दियें।जिलाधिकारी एवं भाजपा जिलाध्यक्ष धर्मराज मौर्य ने मोटे अनाज का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले प्रगतिशील किसानों-मंजीत कुमार कुशवाहा, अंगद सिंह कुशवाहा, रमाकान्त यादव, भीम सिंह, बनवारी एवं वीरेन्द्र कुमार चौरसिया को अंगवस्त्र भेंट कर मोमेण्टो व प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया।

जिलाधिकारी ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के आधुनिक जीवन शैली में हम लोग मोटे अनाजों से दूर हों गये हैं, जबकि मोटे अनाज का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उपयोगी एवं लाभप्रद है। मोटे अनाजों में भरपूर पोषण तत्व-आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम आदि पाये जाते हैं। प्रधानमंत्री ने मोटे अनाजों को श्रीअन्न का नाम देकर अधिक से अधिक उत्पादन एवं उपभोग की पहल की है। यूएनओ द्वारा वर्ष-2023 को अन्तर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया गया था।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने मोटे अनाजों के अधिकाधिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित किया है। बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य रू0-2500 प्रति कुन्तल, ज्वार का रू0-3180, मक्का का रू0-2090 एवं कोंदो का न्यूननतम समर्थन मूल्य रू0-3875 घोषित किया है। उन्होंने किसानों से मोटे अनाजों का अधिकाधिक उत्पादन करने का आवाह्न करते हुए कहा कि मोटे अनाज के उत्पादन में लागत कम आती है, जिससे आय में भी वृद्धि होगी।

उन्होंने किसानों से कहा कि कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दी जा रहीं जानकारियों व सुझाओं को अपनाकर अधिक से अधिक मोटे अनाजों का उत्पादन करें। भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया था और सरकार उसी दिशा में निरन्तर आगे बढ़ रहीं है। हम सब पुराने अन्नों (मोटे अनाज) के उत्पादन को भूलते चलें गये, अधिकाधिक रासायनिक खादों का उपयोग करने लगें, रासायनिक खादों से उत्पादित अन्न का सेवन करने से अनेक बीमारियॉ होती हैं, जबकि मोटे अनाज स्वास्थ्य के लिए अधिक लाभदायक हैं। इन अनाजों में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती हैं। उन्होंने सभी से मोटे अनाजों को अपने भोजन में शामिल करने का अवाह्न किया। उन्होंने किसानों से कहा कि अधिकाधिक मोटे अनाजां का उत्पादन करें, इसके उत्पादन में लागत भी कम आती है। उन्होंने प्राकृतिक खेती करने तथा रासायनिक खादों का कम से कम उपयोग करने का भी आवाह्न किया।

कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ0 मनोज कुमार, डॉ0 नवीन कुमार एवं डॉ0 मीनाक्षी ने किसानों को मोटे अनाज की उपयोगिता, उत्पादन एवं फसलों को बीमारियों से बचाव आदि महत्वपूर्ण जानकारिया व सुझाव दियें। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी डॉ0 रवि किशोर त्रिवेदी, उप कृषि निदेशक सतेन्द्र कुमार तिवारी, जिला कृषि अधिकारी मनोज गौतम एवं जिला उद्यान अधिकारी अवधेश कुमार मिश्रा सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहें।